प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश मिश्रा ने बताया कि यदि समय पर प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशु को सामान्य एवं आकस्मिक सुविधा मिल जाए तो नवजात को बचाया जा सकेगा, और यह प्रशिक्षण लेबर रूम में कार्यरत चिकिसकों एवं नर्सिग ऑफिसर की इस संबंध में दक्षता बढ़ाने में मदद करेगा ।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.एच.पी. सिंह (पूर्व शिशु रोग विभागअध्यक्ष मेडिकल कॉलेज रीवा, डॉ.उमेश नामदेव (सीनियर शिशु रोग विशेषज्ञ), डॉ.निशांत प्रभाकर (विभागअध्यक्ष मेडिकल कॉलेज, शहडोल) डॉ.स्वेतलीना (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर शिशु रोग विभाग, मेडिकल कॉलेज, शहडोल) द्वारा जिले के विभिन्न प्रसव केंद्रों एवं नवजात शिशुओं के उपचार हेतु उपलब्ध विभिन्न इकाइयों (एन.आई.सी.यू ., एस. एन.सी. यू.एवं एन.बी.एस.यू ) पर कार्यरत चिकिसकों एवं नर्सिग ऑफिसर को, प्रशिक्षण के अलग अलग माध्यमों का प्रयोग करते हुए कौशल आधारित प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें प्रसव के तुरंत बाद नवजात शिशु की सामान्य देखभाल एवं आवश्यकता होने आकस्मिक देखभाल (पुनर्जीवन के चरण), स्तनपान का महत्व माता देखभाल के बारे में बिस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ साबिर खान अस्पताल प्रबंधक एवं इंडिया हेल्थ एवं एक्शन ट्रस्ट की राज्य एवं जिला स्तरीय टीम के अधिकारी एवं कर्मचारी सहित अन्य डाक्टरर्स भी उपस्थित रहे।


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