पंचायत से लेकर माननीयों तक कमीशन की सूची, अकेले कुछ कर पाएंगे डी एम शहडोल?
ज. पं. ब्योहारी अंतर्गत ऐतिहासिक गोदावल शिव मंदिर के पास बना है अमृत सरोवर
ग्रा. पं. मैर टोला है निर्माण एजेंसी तथाकथित "विष सरोवर "की
भोपाल एडवोकेट एम एल चतुर्वेदी। विंध्य क्षेत्र के आदिवासी संभाग शहडोल अंतर्गत सामान्य जनपद पंचायत ब्योहारी जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है इस धरती पर पैदा हुए शूरवीरों ने राजनीति के क्षेत्र में मध्य प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करके इस धरती का नाम मध्य प्रदेश के इतिहास में अमिट कर दिया है लेकिन कुछ दशक पहले जब षडयंत्र पूर्वक इस विधानसभा को सीधी लोकसभा क्षेत्र में जोड़ा गया और यह विधानसभा आदिवासी विशेष के लिए आरक्षित हो गई समय-समय पर जनमानस के द्वारा यहां से कांग्रेस और भाजपा को विजय श्री दिलवाकर भोपाल तक पहुंचाने का कार्य किया है वर्तमान में वर्ष 2018 के आम चुनाव से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर भाजपा के विधायक इस विधानसभा का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन नगरीय क्षेत्र ब्योहारी से महज कुछ दूरी में स्थापित ग्राम पंचायत मैर टोला के द्वारा अत्यंत ही प्राचीन शिव मंदिर जिसे गोदा वल धाम के नाम से जाना जाता है उसके मुहाने पर भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित अत्यंत ही महत्वपूर्ण जल संवर्धन योजना अंतर्गत बनाए गए अमृत सरोवर को वर्तमान पर देखने में ऐसा प्रतीत होता है जैसे पुराने जमाने में किसानों के द्वारा धन की कमी की वजह से अपने खेत पर बनाए गए तालाब या बांध की स्थिति हुआ करती थी 34 लाख रुपए की लागत से बनाए गए अमृत सरोवर में जिम्मेदारों के द्वारा गोदवाल पहाड़ से निकलने वाले एक छोटे से नाले को महज 50 मीटर दूर ही मिट्टी की मेड़ बनाकर रोक दिया गया है तथा सरोवर की मेड़ को उच्च स्तरीय पत्थरों से पिचिंग करने के स्थान पर स्थानीय पहाड़ से घुलनशील पत्थर निकलवा कर कोरम पूर्ति कर दिया गया है सरोवर की मेड़ कहीं बरसात में बह न जाए उससे बचाव करने के लिए निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों के द्वारा पुराने जमाने में किसानों के जैसे बनाए जाने वाले बांध जिसमें बांध की मेड़ के बगल से पानी निकालने के लिए एक रास्ता बनाया जाता था जिससे ज्यादा बरसात होने पर अधिक पानी निकल जाए बघेली भाषा में तथाकथित सरोवर में ओव्हर फ्लो के स्थान पर "नाट "का निर्माण कर दिया गया है इस प्रकार से स्थानीय भाषा में कहा जाए तो उक्त तथा कथित अमृत सरोवर का निर्माण लीपा -पोती करते हुए महज केवल कागजी खानापूर्ति पूर्ण करके लाखों रुपए की राशि का आपसी बंदर बांट किए जाने में कोई कोताही नहीं व रती गई है गौरतलब है कि जब एक लंबे अरसे के बाद शहडोल जिला में कलेक्टर के रूप में तरुण भटनागर की पदस्थापना हुई तो जिले वासियों में उम्मीद की नई किरण और आशा के दीप प्रज्वलित हुए हैं क्योंकि वर्तमान शहडोल कलेक्टर को उनके कार्य के प्रति जाना एवं पहचाना जाता है जनमानस की उम्मीद को बरकरार रखते हुए वर्तमान कलेक्टर के द्वारा लोगों की आम समस्याओं का निराकरण करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से आवेदन एवं जानकारी प्राप्त होने पर भी कलेक्टर शहडोल के द्वारा जन समस्याओं के त्वरित निराकरण का प्रावधान तैयार किया गया है जिसकी चर्चा बखूबी जिले वासियों के बीच में निरंतर है तथा वर्तमान कलेक्टर की कार्यशैली से जिले वासियों की आशा एवं उम्मीद जन समस्याओं के निराकरण हेतु लगातार बनी हुई है लेकिन विचारणीय प्रश्न है कि जिला अंतर्गत तमाम ग्राम पंचायतो के निर्माण कार्यों में हो रहे व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार एवं शासकीय राशि के गवन पर क्या अकेले कलेक्टर शहडोल रोक लगा पाएंगे और उसके लिए वह कौन सा कदम उठाते हैं यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा,निर्माण एजेंसियों के द्वारा किए जा रहे व्यापक पैमाने पर निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार एवं शासकीय राशि के गवन का जीवंत उदाहरण ग्राम पंचायत मैर टोला के द्वारा निर्मित किए गए अमृत सरोवर से अच्छा शायद जिला अंतर्गत कोई दूसरा निर्माण कार्य नहीं हो सकता है उक्त तथा कथित अमृत सरोवर के निर्माण में व्यापक पैमाने पर वरती गई अनियमितताओ की जांच किसी भी तकनीकी एजेंसी के माध्यम से करवाए जाने की आवश्यकता नहीं है केवल यदि उक्त तथा कथित अमृत सरोवर को महज 50 मीटर की दूरी से देख करके अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदारों के द्वारा शासकीय राशि का गवन कितनी सहजता से किया जा सकता है जिन्हें उक्त अमृत सरोवर के निर्माण के दौरान ध्यान भी नहीं रहा कि जहां इसका निर्माण किया जा रहा है वहां ऐतिहासिक शिव मंदिर है जहां पर रोजाना सैकड़ो की संख्या में आम जनमानस के साथ-साथ शासन -प्रशासन के अलावा माननीय न्यायालय के न्यायाधीशगण भी आते रहते हैं जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों की भ्रष्टाचार की जड़े इतनी मजबूत हो चुकी है कि उन्हें शासकीय राशि गवन करने में तृण मात्र की परवाह अथवा डर नहीं सताता है उल्लेखनीय है कि आए दिन उक्त गोदवाल धाम मंदिर के प्रांगण में शासकीय योजनाओं से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है जहां पर प्रशासनिक स्तर के अधिकारी एवं निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी रहती है लेकिन शायद उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि यह 34 लाख रुपए की लागत से बना हुआ अमृत सरोवर है क्योंकि उक्त तथा कथित अमृत सरोवर वास्तव में विष सरोवर के समान दृष्टिगत होता है उक्त तथाकथित अमृत सरोवर के आड़ में निर्माण एजेंसी द्वारा गबन की गई शासकीय राशि का हिसाब किताब देखने वाला कोई है या नहीं यह तो आने वाला समय ही निर्धारित करेगा "तथाकथित सरोवर की शेष दासता को जानने के लिए अगला प्रकाशित अंक आवश्यक रूप से देखें "

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