दशहरा उत्सव में राजनैतिक महत्वाकांक्षियों द्वारा बाधा उत्पन्न करने की बात आई सामने


भोपाल/शहडोल। सनातन संस्कृति के स्वर्णिम आयोजन शारदेय नवरात्रि त्यौहार उपरांत बुराई और अच्छाई के प्रतीक दशहरा उत्सव को लेकर लोगों में सनातनी संस्कार को स्थापित करने भारत-भूमि में प्रतिवर्ष रावण पुतला का दहन होता चला आ रहा है। विजयादशमी के इस पावन अवसर पर जहाँ एक ओर सभी आस्थावान श्रद्धालुओं द्वारा मिलकर अपने सहयोगपूर्ण एवं सामंजस्य तालमेल बनाकर कार्यक्रम के आयोजन को सफल बनाने के लिए सद्भावपूर्ण सहभागिता निभाया जाता है, वहीं यदि सनातन संस्कृति के इस पावन कार्य पर सनातनी अनुयायियों द्वारा राजनैतिक महत्वाकांक्षा को लिए अड़चन डाला जाए तो इससे हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों में गलत संदेश जाना स्वाभाविक है।  

दशहरा आयोजनकर्ताओं के प्रशंसनीय प्रयासों पर पानी फेर रहे भाजपा नेता

सूत्रों से प्राप्त जानकारी की मानें तो शहडोल जिले के जयसिंहनगर अंतर्गत वर्तमान शासकीय सांदीपनि विद्यालय नगर ग्राउण्ड में बीते दशकों से दर्शकों में अच्छाई व बुराई को लेकर सद्विचार स्थापित करने के लिए रावण दहन का कार्य सतत् चला आ रहा है, एवं इस वर्ष 2025 में भी 02 अक्टूबर को होने जा रहे दशहरा आयोजन में आयोजक समिति के एक माह पूर्व से किए जा रहे निरंतर प्रयासों से लगभग पूर्णता प्राप्त कर चुके कार्यक्रम का क्रेडिट लेने की होड़ में राजनैतिक बाधा पहुँचाते हुए कार्यक्रम असफल करने का पूरा प्रयास भाजपा नेताओं द्वारा बड़ी ही लगन के साथ किया जा रहा है, उक्त विजयादशमी कार्यक्रम में संवैधानिक शक्ति का दुरूपयोग करते हुए विरोध का स्वर लेकर अप्रत्यक्ष टिप्पणी के द्वारा नगर परिषद की भी भूमिका वोटबैंक के दिखावे मात्र के लिए सनातनी पद्धति पर अग्रसर हो रही भाजपा नीतियों से राजनैतिक महत्वाकांक्षा से प्रभावित नजर आई।

क्या सनातन की आड़ में आस्थावान श्रद्धालुओं से विश्वासघात कर रही भाजपा

विजयादशमी पर्व आयोजन 02 अक्टूबर, को जयसिंहनगर रावण पुतला दहन का आयोजन बाजार की उठ रही चर्चा मे हवा से गुजरते हुए सभी लोगों के धड़कनों में भाजपा नीतियों पर सवालिया तीर छोड़कर सरगर्मी के साथ एक ही बात की चर्चा लिए बैठती जा रही है कि जिस स्थानीय भाजपा को अपनी ही नीतियों का पालन कर दशहरा आयोजन को सफल बनाने के लिए सामर्थ्य अनुसार तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए, वह भाजपा क्या अब इतनी महत्वाकांक्षी और अहंकारी हो गई है कि हर स्थान पर होने वाले आयोजनों में अपना स्वामित्व स्थापित करना चाहती है, फिर चाहे उस आयोजन में किन्हीं भी आयोजक समितियों की तैयारियाँ लगभग पूर्ण हो चुकी हो, लेकिन वहाँ पर बिना किसी पूर्व सहयोग के झूठा क्रेडिट लेने की भाजपा की मंशा स्थानीय श्रद्धालुओं के दिलों में अब तानाशाही प्रणाली के चलते आक्रोश पैदा करती परिलक्षित हो रही है। 

यद्यपि विजयादशमी पर्व आगमन में अभी भी 06 दिनों की अवधि शेष है जिसमें यह देखना लाज़मी होगा, क्या स्थानीय भाजपा कार्यक्रम आयोजक समिति के सहयोग के लिए आगे आएगी या फिर हिंदू आस्था के इस पवित्र उत्सव को अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा और अहंकार की भेंट चढ़ाने में सफल होंगे।

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