किसानो की पुस्तैनी भूमि वन भूमि में शामिल किसान परेशान जिम्मेदार मौन


शहडोल/ जयसिंहनगर।  एक ओर जहा मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा जमीन से जुड़े हुए विषयो का जल्द जल्द से निपटारा करने के लिए राजस्व विभाग को निर्देशित किया जाता है जिससे किसानों को जमीन सम्बंधित विषयो मे ज्यादा न परेशान होना पड़े और आसानी से किसानों को उनके समस्या का समाधान प्राप्त हो लेकिन इसके विपरीत किसानों के  पुस्तैनी भूमि से उनको बेदखल किया जा रहा है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है 

*क्या है मामला*

ताज़ा मामला शहडोल जिले के विकासखण्ड जयसिंहनगर से ग्राम पंचायत  करकी से सामने आया है जहाँ पर दस से अधिक किसानों की पुस्तैनी भूमि जिसका पूर्ण कागजी रिकॉर्ड किसानों के नाम पर है उसके बाद भी वन विभाग के जिम्मेदारो के द्वारा किसानों की निजी भूमि को वन विभाग की भूमि बताकर के उसकी अस्थाई बाउंड्री बना करके उसमे हज़ारो की संख्या मे वृक्षारोपण का कार्य करवाया जा रहा है जिसमे आज से लगभग 8 महीने पहले से किसानों के द्वारा वन विभाग व राजस्व विभाग के जिम्मेदारो के सामने दो बार आवेदन के माध्यम से अपनी बात रखी गयी लेकिन उस विषय का अभी तक बिना किसी ठोस कार्यवाही के पूरा हुए ही वन विभाग के द्वारा उस भूमि अपना बताकर के वृक्षारोपण का कार्य आज से शुरू करवाया गया था जिस पर किसानों ने उपस्थित होकर के अपत्ति दर्ज करवाते हुए बंद करवा दिया गया और कहा की जब तक जिम्मेदार अधिकारी मौके मे आकर के  हमारी समस्या का निराकरण नहीं करेंगे तब तक हम इस कार्य को शुरू नहीं होने देंगे यदि यह भूमि वन भूमि है तो फिर हमारी वर्षो पुरानी पुस्तैनी भूमि कहा गायब हो गयी और यदि कोई भी ऐसी कोई भी कार्यवाही कभी भी हुई तो हमको इसकी जानकारी कभी नहीं दी गयी ऐसा क्यों 

*जिम्मेदारो के सामने कई बार लगाई न्याय की गुहार*

ग्राम पंचायत करकी मे किसानों के साथ हो रहें इस सम्पूर्ण घटनाक्रम को लेकर के वन विभाग व राजस्व विभाग के जिम्मेदारो के सामने दो बार अपने जमीन सम्बंधित सभी रिकॉर्ड साहित आवेदन देकर के अपनी विपत्ति बताई और न्याय की गुहार लगाई एक बार वन विभाग के रेंजर साहब व राजस्व विभाग के तहसीलदार साहब ग्राम पंचायत करकी तो पहुँचे लेकिन बिना किसी निराकरण के ही आश्वासन देकर के वापस लौट गए लेकिन अब आठ महीने का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी भी प्रकार से बिना निराकरण किये ही उस भूमि पर वृक्षारोपण शुरू कर दिया गया है 

                     *इनका क्या कहना है*

1. इस विषय को लेकर के जब वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से फ़ोन के माध्यम से संपर्क करके बात किया गया तो उनका कहना था की यह विषय हमारे सज्ञान मे आया था और जांच उपरांत सामने आया है की यह समस्त भूमि नोटिफिकेशन के आधार पर वन भूमि मे दर्ज है इसलिए यह भूमि वन विभाग की अब रही किसानों की बात तो वो लोग राजस्व विभाग से इसका सत्यापन करवाये की हमारी भूमि कहा पर दर्ज है

                          *मुकुल सिंह ठाकुर*

                               *एसडीओ*

                      *वन विभाग जयसिंहनगर*

 2. वही जब इस विषय मे राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी से बात की तो उनका कहना था की इस प्रकार के और भी कई मामले हमारे सामने आये है जिसको हमने क्लियर करवा दिया है लेकिन यह विषय हमारे जानकारी मे नहीं है हम इसको दिखवाकर ही बता पायेंगे.


                              *सुषमा धुर्वे*

                      *तहसीलदार जयसिंहनगर*

3. वही इस विषय को लेकर के किसानों का कहना है की अभी तक तो कई पुस्तो से हमारे पूर्वज व हम इस पर ही खेती करके ही अपना जीवन यापन करते आये है और इसका पूरा रिकॉर्ड हमारे पास है जो हम अधिकारियो के सामने प्रस्तुत कर चुके है लेकिन वन विभाग के द्वारा कहा जा रहा है की यह हमारी भूमि है तो फिर हमारी भूमि कहा गयी इसकी भी जानकारी क्या कोई देगा 

                         *समस्त किसान*

                       *ग्राम पंचायत करकी*

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