पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में बलिदान दिवस पर किया गया भव्य आयोजन


शहडोल(सीतेंद्र पयासी)। आज दिनांक 18/9/ 2024 को विश्वविद्यालय के माता शबरी मल्टीपरपज हाल में गोंडवाना साम्राज्य के महान शासक राजा शंकर शाह पुत्र कुँवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस को गौरवशाली परंपरा के साथ आयोजित किया गया।


कार्यक्रम की शुरुआत हस्त निर्मित राजा शंकर शाह पुत्र कूँवर शाह के चित्रपट पर दीप प्रज्वलन  में आदिवासी समाज के धर्म आचार्य गणेश सिंह अपने सामाजिक पूजा के मंत्रो का उच्चारण कर पवित्र शुरुआत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रोफेसर राम शंकर थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रमोद पांडे, प्रोफेसर आशीष तिवारी, प्रोफेसर प्रवीण शर्मा, प्रोफेसर एम.के. भटनागर, डॉ. उमा सिंह थे। मंच का संचालन प्रोफेसर एच .एल. मरावी ने किया। बलिदान दिवस में अतिथियों का स्वागत पीले अंग वस्त्र चंदन एवं पुष्प गुच्छ से कर चावल हल्दी लगाकर आदिवासी परंपरागत  अभिवादन किया गया । राजा शंकर शाह की कृतित्व और व्यक्तित्व पर डॉ राधा सिंह ने विस्तार से प्रकाश डाला और उनकी गरिमा में गाथा को अपने शव्द भावो से गाया। प्रोफेसर प्रवीण शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा यह आजादी हजारों बलिदानों से प्राप्त हुई है इन्होंने संगठनात्मक रचना कर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए ।और अंग्रेजों से मांग कर तोप के मुंह मे खुद को लगाकर उड़ गए और आजादी की ज्वाल जला दी ।

विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मनमोहक आदिवासी नृत्य  प्रस्तुत किया गया जिसकी प्रस्तुति ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

अनामिका सिंह ने अपने विचार रखते हुए सभी छात्रों को व्यावहारिक और अनुशासन का संदेश दिया ।छात्रा अनामिका सिंह के द्वारा राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह के चित्र को स्वतः बनाकर आज के कार्यक्रम के लिए समर्पित किया था । विश्वविद्यालय के द्वारा कुलगुरु प्रो. राम शंकर के माध्यम से उक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए  स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया ।

डॉक्टर उमा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में अनुसूचित जनजाति अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है जिसमें क्षेत्र में फैले हुई जनजाति परंपरा संस्कृति का अध्ययन किया जाना है जिससे हम जनजातियों को समझ सकेंगे ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रोफेसर रामशंकर ने बलिदान दिवस पर कहा महाराज शंकर शाह और कुँवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के आयोजन के लिए सादर धन्यवाद आज हमारे विश्वविद्यालय की छात्रा अनामिका ने जो संदेश दिया वह अत्यंत मार्मिक और हृदय स्पर्शी था  जिसने सबके मन को स्पर्श किया  यही विश्वविद्यालय की पहचान और परिचय है। यह बलिदान दिवस में राजवंश के यह पहले प्रतिनिधि का था  जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया जिन्होंने अंग्रेजों की शर्तों को ठुकराते हुए मौत का कंठहार पहन लिया और मिशाल रूपी संदेश से आजादी के मशाल को जला दिया आज ऐसे अमर शहीद द्वय को  सादर नमन है। कार्यक्रम के अंत में कुलगुरु प्रोफेसर राम शंकर जी को भारत की क्रांतिकारी आदिवासी औरतें एवं स्मृति चिन्ह देकर प्रोफेसर एच एल मरावी ने सम्मानित किया ।

साक्षी और उनके ग्रुप में मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया और डॉ. पी डी रावत ने सभी अतिथियों छात्राओं का आभार ज्ञापित  किया।

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