विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मनमोहक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसकी प्रस्तुति ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
अनामिका सिंह ने अपने विचार रखते हुए सभी छात्रों को व्यावहारिक और अनुशासन का संदेश दिया ।छात्रा अनामिका सिंह के द्वारा राजा शंकर शाह कुँवर रघुनाथ शाह के चित्र को स्वतः बनाकर आज के कार्यक्रम के लिए समर्पित किया था । विश्वविद्यालय के द्वारा कुलगुरु प्रो. राम शंकर के माध्यम से उक्त रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
डॉक्टर उमा सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में अनुसूचित जनजाति अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है जिसमें क्षेत्र में फैले हुई जनजाति परंपरा संस्कृति का अध्ययन किया जाना है जिससे हम जनजातियों को समझ सकेंगे ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रोफेसर रामशंकर ने बलिदान दिवस पर कहा महाराज शंकर शाह और कुँवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के आयोजन के लिए सादर धन्यवाद आज हमारे विश्वविद्यालय की छात्रा अनामिका ने जो संदेश दिया वह अत्यंत मार्मिक और हृदय स्पर्शी था जिसने सबके मन को स्पर्श किया यही विश्वविद्यालय की पहचान और परिचय है। यह बलिदान दिवस में राजवंश के यह पहले प्रतिनिधि का था जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दे दिया जिन्होंने अंग्रेजों की शर्तों को ठुकराते हुए मौत का कंठहार पहन लिया और मिशाल रूपी संदेश से आजादी के मशाल को जला दिया आज ऐसे अमर शहीद द्वय को सादर नमन है। कार्यक्रम के अंत में कुलगुरु प्रोफेसर राम शंकर जी को भारत की क्रांतिकारी आदिवासी औरतें एवं स्मृति चिन्ह देकर प्रोफेसर एच एल मरावी ने सम्मानित किया ।
साक्षी और उनके ग्रुप में मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया और डॉ. पी डी रावत ने सभी अतिथियों छात्राओं का आभार ज्ञापित किया।


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