पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल में मध्‍यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी प्रकोष्ठ का शुभारंभ


शहडोल(सीतेंद्र पयासी)। भारतीय ज्ञान परम्परा के संवर्द्धनार्थ पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में दिनांक 12 सितंबर 2024 को विश्वविद्यालय में हिंदी ग्रंथ अकादमी प्रकोष्ठ का शुभारंभ किया गया उक्त कार्यक्रम की शुरुआत विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर की गई। छात्राओं द्वारा वेद मंत्रो से सरस्वती वंदना एवं गुरु वंदना की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। म.प्र. हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक माननीय अशोक कड़ेल के मुख्य आतिथ्य, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलगुरु माननीय प्रो. राजकुमार आचार्य, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग रीवा-शहडोल संभाग प्रो. आर. पी. सिंह के विशिष्ट आतिथ्य एवं विश्वविद्यालय के कुलगुरु माननीय प्रो. राम शंकर की अध्यक्षता एवं मार्गदर्शन में म.प्र. हिन्दी ग्रंथ अकादमी प्रकोष्ठ का शुभारम्भ किया गया। डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से हिंदी ग्रंथ अकादमी प्रकोष्ठ के औपचारिक शुरुआत की गई छात्रों द्वारा वेद मंत्रो से संपूर्ण वातावरण को भारतीय ज्ञान परंपरा से अभिसिंचित कर वेद की ऋचाओं का पाठ किया गया  संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार शर्मा जी ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं स्वागत भाषण देते हुए सभी अतिथियों का आत्मीय अभिनंदन किया| कार्यक्रम में कुल सचिव प्रोफेसर आशीष तिवारी एवं अशोक कंडेल के द्वारा विश्वविद्यालय और हिंदी ग्रंथ अकादमी के बीच औपचारिक अनुबंध की प्रक्रिया हस्ताक्षर कर हस्तानांतरित की गई। 


प्रोफेसर प्रमोद पांडे ने भारतीय ज्ञान परंपरा में वेद और वेद को समझने की पद्धति को विस्तार से व्याख्याित किया। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलगुरु प्रोफेसर राजकुमार आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम अपने जीवन में किताबों को अपना मित्र बनाते हैं क्योंकि किताबें हमें जीवन का अनुशासन सिखाती है।

अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा रीवा-शहडोल संभाग प्रोफेसर आरपी सिंह ने अपने उद्बोधन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को विकसित करने और उसे नवीन पाठ्यक्रम में समाहित करने के लिए ,समस्त विश्वविद्यालय में शोध संगोष्ठियों का आयोजन किया जा किया जा रहा है इसमें विषय बार विद्वानों का चयन किया गया है मंथन चल रहा है निश्चय ही विचारों का मक्खन निकलेगा दिशा मिलेगी और लक्ष्य पूरा होगा।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक कंडेल ने उद्बोधन में कहा कि आज इस प्रकोष्ठ के सफल गठन के लिए प्रोफेसर रामशंकर  कुलगुरु को आत्मीय साधुवाद देता हूं और नई शिक्षा नीति की शुरुआत हुई है यह हमारे भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रकाशित करने के लिए भारत से कई सुझावों के माध्यम से अपनी आहुति दी है जिससे यह लगता है जिससे यह लगता है की यह अपनी भारत की शिक्षा नीति है और हम सब की शिक्षा नीति है नवीन शिक्षा नीति में नए-नए प्रयोग किया जा रहे हैं जिस पर निरंतर शोध चल रहा है|

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं कुलगुरु प्रोफेसर राम शंकर ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने के लिए जरूरी है कि किसी भी ज्ञान परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न क्या है? इसे समझना जरूरी है हमारा दर्शन हजारों वर्षों पुराना है आदिकाल से हमारे भारत के ऋषि मुनियों ने शोध पर शिक्षा प्रणाली को स्थापित करने के लिए किस विधि से ज्ञान प्राप्त किया यह समझना और जानना आवश्यक है हमारी शिक्षा प्रणाली सदैव ज्ञान विज्ञान  संपन्न रही है, सुचिता है विश्वास है और मानवता और अनुशाशन का समन्वय दृस्टि गोचर होता है हमारे  ज्ञान विज्ञान और विचारो को समझ कर ऐसे कई पश्चात देश हैं जो भारत पहले सिद्ध कर चुका है उन्हें सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं|

कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. आशीष तिवारी  ने सभी का हृदय से आभार ज्ञापित किया और विश्व विद्यालय में हिंदी अकादमी प्रकोष्ट प्रारम्भ होने की बधाई दी। मंच संचालन डा. आदर्श तिवारी, क्रीड़ा अधिकारी द्वारा किया गया।

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