अपने उत्तरदायित्वों से भाग रहे निरूत्तर बने बीएमओ दीवान एवं सीएचएमओ शहड़ोल, बीमारों को झोंक रहे मौत के मुँह में

शहडोल(सीतेंद्र पयासी)- यूँ तो कहने को सिविल स्वास्थ्य केन्द्र जयसिंहनगर में खण्ड चिकित्सा अधिकारी जिन्हें शॉर्टकट में बीएमओ कहा जाता है, ऐसे जिम्मेदार पद पर बैठने वाले चिकित्सक अपने ही जिम्मेदारियों से भागते हुए कैसे पल्ला झाड़ रहे हैं यह तो आपने सुना ही होगा, लेकिन जब व्यवस्थाओं का हवाला देकर एक ऐसे ही स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा आने वाले मरीजों की जान के साथ खेलने लग जाएं तो बड़ा ही अटपटा लगता है, हालांकि क्षेत्र से आने वाले मरीजों के इलाज में बेहतरी को लेकर शासन सत्ता द्वारा अपनी वाहवाही हमेशा बताई जाती है, लेकिन उस वाहवाही में "कितना झूठ है और कितना सच" इसे आईना दिखाने का कार्य बड़ी ही तन्मयता के साथ बेपरवाह बीएमओ के माध्यम से देखा और सुना जा सकता है।

आक्सीजन की कमी को लेकर मरीज तोड़ रहे दम, लाइट का बहाना

ऐसा तो हरगिज़ नहीं है, कि लोग 50 बिस्तरीय स्वास्थ्य केन्द्र जयसिंहनगर में उपलब्ध उपचार की व्यवस्थाओं और वैकल्पिक सुविधाओं की कागजी फाईल में दर्शायी जाने वाली जमीनी हकीकत से अनजान हों, लेकिन बीएमओ दीवान के राज में कुछ कहना भी निरर्थक साबित हो जाता है, जिसका मुख्य कारण ऊपर बैठे जिला चिकित्सा अधिकारी हैं जो शायद ही जयसिंहनगर की ओर स्वास्थ्य सुविधाओं और बीएमओ दीवान की लापरवाहियों को देख पाने के लिए अपना कदम रखते हों, जो कि ऐसे अधिकारी के रूप में अब अपनी प्रतिष्ठा बना रहे हैं कि बहाना और बताना इनके मुख्य अस्त्र बन चुके हैं। अभी हाल ही में एक मरीज ने स्वास्थ्य केन्द्र में आक्सीजन की उपलब्धता में लापरवाही बरते जाने पर अपनी जान गंवा दी, लेकिन माननीय बीएमओ के नजर में ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है़। सूत्र बताते हैं कि जब से माननीय बीएमओ दीवान द्वारा जी ने पदभार ग्रहण किया है तब से अब तक मरीजों ने केवल आक्सीजन की कमी के कारण या तो अस्पताल में या फिर रेफर के दौरान दम तोड़ दिया है, लेकिन अब तक इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार बीएमओ ने एक पत्र तक अपने उच्चाधिकारियों या विभाग को नहीं लिखा है।

ऐसी अनुभवहीनता प्रदर्शित आक्सीजन सिलेंडर की नहीं थी वैकल्पिक व्यवस्था 

दिनाँक 28/06/2025 को सिविल स्वास्थ्य केन्द्र में शहर के ही एक प्रतिष्ठित मरीज की मृत्यु केवल आक्सीजन सप्लाई बंद होने के कारण हो गई, इस संदर्भ में जब स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ बीएमओ दीवान से जानने का प्रयास किया गया तो उनका जवाब बड़ा ही चौंकाने वाला था जो ये साबित करने के लिए पर्याप्त है कि एक अनुभवहीन चिकित्सक को बीएमओ का जिम्मेदारी भरा पोस्ट सौंपकर क्षेत्रीय जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, दीवान से प्राप्त जानकारी के अनुसार लाइट का आना जाना हमेशा लगा रहता है, एवं स्वास्थ्य केन्द्र में बाहर तो लाइट है लेकिन वार्ड में नहीं, और जो इलेक्ट्रिक वाली मशीन आती है उसी में मरीज को रखा गया था, लेकिन लाइट सप्लाई बंद होने से आक्सीजन आपूर्ति बंद हो गई, आक्सीजन सिलेंडर भी है हमारे पास पर्याप्त मात्रा में पर दूसरे कमरे में रखा गया था निकालने में समय लग गया, डीजी(डीजल जनरेटर) की वैकल्पिक व्यवस्था पूछने पर इनके द्वारा कोई पत्राचार ना किया जाना स्वीकार किया गया, अब इससे ये बहुत ही गम्भीर सवाल बीएमओ पर उठ रहे हैं कि लाइट की समस्या को जानते हुए भी और पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन सिलेंडर होने के बावजूद भी क्यों इमरजेंसी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था मौके पर नहीं की जाती है, हालाँकि बीएमओ की यह पहली लापरवाही नहीं है सूत्रों की माने तो पूर्व में भी इनके द्वारा पर्याप्त वैकल्पिक व्यवस्थाएं होने पर भी चिकित्सा के मद्देनजर उपलब्ध कराना लाजमी नहीं समझा गया, जिसके चलते अन्य मरीजों को भी अपने जान से हाथ धोना पड़ा है, ऐसे में इनका चिकित्सा अनुभव प्रश्नों के कठघरे में खड़ा हुआ है।

बीएमओ की लापरवाही पर लगाम लगाने, जिला चिकित्सा अधिकारी का रूख कुछ खास नहीं 

बता दें कि पूर्व में भी जिम्मेदाराना पोस्ट पर बने रहते हुए भी बीएमओ की बचकाना हरकतों से क्षेत्रीय अंचल में स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ खिलवाड़ करने के संबंध में विभिन्न समाचार पत्रों, न्यूज पोर्टल एवं अभिव्यक्ति प्रकाशन के माध्यम से सिविल स्वास्थ्य केन्द्र की बदतर होती स्थिति को सार्वजनिक स्तर पर प्रकाशित की गई, एवं सुधार के मद्देनजर जिसे सीएमएचओ शहडोल तक भी पहुँचाने का कार्य किया गया, किंतु कार्यवाही अब तक शून्य बनी हुई है, बाहर से देखने में तो ऐसा लगता है जैसे नई बिल्डिंग बनाकर एक्सपर्ट चिकित्सकों की तैनाती यहाँ है लेकिन अंदर जाने पर हकीकत अपने आप को स्वयं बयाँ करती है कि ऐसे चिकित्सा अधिकारी के होते हुए मेरी स्थिति क्या है, जहाँ प्राथमिक उपचार की सही व्यवस्था कर पाने में केएल दीवान असमर्थ हैं वहाँ बीमार रोगियों या घायलों की गम्भीर परिस्थितियों में क्या स्थिति हो सकती है, इसे जिला चिकित्सा अधिकारी को संज्ञान में लिया जाना चाहिए लेकिन यह चिंता की बात है कि स्वास्थ्य केन्द्र जयसिंहनगर की ल

वस्तुस्थिति संज्ञान में दिलाए जाने के प्रयासों के बावजूद भी कार्यवाही प्रक्रिया सो रही है।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया:-

नहीं तो क्या जानना चाह रहे हैं आप विवरण तो मत पूछिए ज्यादा मेरे को आप ये बताइए जानना क्या रहे हैं सच, हाँ चिकित्सक थे उपलब्ध थे देखे भी मरीज को लेकिन उसके कंडीशन को देखते हुए मरीज को रेफर भी गया किया गया, लेकिन वही लास्ट में लेके गए नहीं ठीक है और क्या है लगातार यहाँ लाइट स्विच होता है आप तो जानते हैं सब कुछ मतलब कितने बार कट जाती होगी, अब एडिशनल इलेक्ट्रिक उपलब्ध नहीं है हमारे पास, डाक्टर आशुतोष मिश्रा ड्यूटी में थे, नहीं आक्सीजन सिलेंडर हैं हमारे पास हैं पर्याप्त मात्रा में हैं, अरे वो रखी थी दूसरे.. एक्चुअल में क्या है इलेक्ट्रिक वाली जो मशीन आती है ना उसपे रखे हुए थे और लाईटीकरण वैसे ही कट गई सप्लाई, तो फिर आक्सीजन को निकालने में थोडा सा टाईम लग गया बस मेरा कुछ हिसाब से, लाईट है ब्रेकअप नहीं है, इलेक्ट्रिक सपोर्ट्स, अभी अपने पास.. नहीं है, लगे हुए हैं बाहर की ओर जलती हैं, वार्ड में नहीं है डीजी वगैरह अभी नहीं है फिलहाल, नहीं वैसे तो पत्राचार तो लिखित में नहीं किए हैं, बाकी... सूचना है।

डॉ. केएल. दीवान, खण्ड चिकित्सा अधिकारी, जयसिंहनगर, 

जब इनसे जानकारी चाही गई तो इनके द्वारा फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा गया।

राजेश मिश्रा, जिला चिकित्सा अधिकारी,

जब इनसे जानकारी चाही गई तो इनके द्वारा फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा गया।

हिमाद्री सिंह, जिला सांसद शहडोल,

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