किशोर किशोरी जागरूकता के नाम पर हो रहा फर्जीवाडा,बच्चो को नही मालूम क्या पढाया
शहडोल। सरकार द्वारा राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से जिले मे लगभग 40 बैच में 2100 साथियाओ की ट्रेनिंग प्रति बैच 6 दिनो में देने का काम स्वामी विवेकानंद शिक्षा समिति (एनजीओ) को दिया गया है जिससे 15-19 वर्ष के किशोर किशोरी के शरीर में समय-समय पर आने वाले बदलाव और नशे के दुष्प्रभाव को जाने खुल कर बात कर सके और होने वाले संक्रमण से बच सके लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है। जिले भर में चल रहे इस स्वास्थ्य प्रशिक्षण में नियमविरूद्व तरीके से न केवल बच्चों का चयन किया गया है बल्कि उनको प्रशिक्षण देने वाली साथिया की भी उम्र सही नही है।
नियमविरूद्व साथिया का चयन:-
सरकार द्वारा इस योजना के तहत चयनित साथियाओ जिनकी उम्र 15-18 वर्ष हैे के माध्यम से हर गांव में प्रशिक्षण दिलवाये जाने की बात कही जा रही है जिससे बच्चो में जानकारी का आभाव न हो परंन्तु सरकार की इस मंशा को पलीता लगाने का काम शहडोल में स्वामी विवेकानंद शिक्षा समिति (एनजीओ) द्वारा कम उम्र की साथिया जिनकी उम्र लगभग 12-14 वर्ष है का चयन कर किया जा रहा है जिसके चलते न केवल बच्चे ज्ञान से वंचित हो रहे है अपितु इससे सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का क्रियान्यवयन लोगो के बीच सफल रूप से नही हो पा रहा है ।
नही मालूम क्या पढायाः-
जिले के जयसिंहनगर ब्लाक आधीन शासकीय माध्यमिक विद्यालय कौवासरई में ग्राउंड रिपोर्टिग के दौरान हमने पाया की चयनित साथियाओ द्वारा किशोर किशोरी को क्या पढाया गया है उन्हे नही मालूम वही जब बच्चो से उन्हे आज क्या पढाये है यह पूूछा गया तो वह नही बता पाये ,जब हमने उनसे उनकी उम्र पूछी तो किसी ने 11 तो किसी ने 12-13 के बीच बतायी जो नियमो के विपरीत होना स्पष्ट करता है ।
खाने पीने की सही व्यवस्था नहीः-
प्रशिक्षण प्राप्त करने आये बच्चो सहित उनको लेकर आयी आशा कार्यकताओ के खाने पीने की व्यवस्था पर जब हमने जानकारी ली तो पाया की सरकार द्वारा जहां भर पेट खाने के साथ गरमी मे ठंडा पानी और समय समय पर कोलड्रिंक की व्यवस्था की बात कही जा रही है तो वही एनजीओ द्वारा कोलड्रिंक तो दूर ठंडा पानी तक उपलब्ध नही कराया गया है आलम यह है कि खाना खाने के लिये बच्चे गांव के लगे नल से पानी लेकर आते हेै तो वही खाने का हाल भी काबिले गौर है नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कुछ आशा कार्यकताओ ने हमे यह भी बताया कि कई बार तो यहां खाना तक नसीब नही होता है दिन दिन भर बच्चे भूखे रह जाते है या तो घर से कुछ लेकर आते है जबकि सरकार द्वारा इनके खाने पीने की तमाम व्यवस्थाओ का बजट संबंधित एनजीओ को जारी किया गया है।
क्या कहता है नियमः-
सरकारी नियमों की माने तो साथिया बनने की उम्र जहां 15 से 18 वर्ष तय की गई है तो वही दूसरी ओर ट्रेनिग में आये हुए साथिया को प्रतिदिन 100 रू के हिसाब से भुगतान भी किया जा रहा है,इसके साथ ही 85रू का भोजन व चाय नाश्ता की भी व्यवस्था भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है जिससे इस तपती हुई धूप में बच्चों को सही ज्ञान के साथ सही अर्क भी प्राप्त हो सके जिसके लिये सरकार द्वारा जिले में प्रशिक्षण दिलवाने वाले गैर सरकारी संस्थान स्वामी विवेकानंद शिक्षा समिति को लगभग 28 लाख रूपये का भुगतान भी किया जाना है परंन्तु ऐसा न कर संस्थान द्वारा बच्चों के भविष्य के साथ छल किया जा रहा है एवं संबंधित एनजीओ व अधिकारी द्वारा प्रशिक्षण के नाम पर सरकारी धन का खुले आम बंदरबाट किया जा रहा है ।
इनका कहना हैः-
आपने जानकारी दी है मैं दिखवाता हूँ
डॉ ए के लाल
सीएमएचओ
जिला शहडोल (म.प्र)

Post a Comment