शहडोल। मध्यप्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय, भोपाल के निर्देशानुसार गुरुपूर्णिमा के अवसर पर विश्वविद्यालय में दिनांक 22 जुलाई 2024 को दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन समारोह आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय श्री दिलीप जायसवाल जी (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्रालय, म.प्र. शासन) एवं अध्यक्ष माननीय प्रो. राम शंकर जी, कुलगुरु थे।सारस्वत अतिथि डॉ सुरेंद्र जी प्रान्त सेवा प्रमुख एवं श्री पूज्य देव प्रवर प्रपन्नाचार्य जी महाराज और जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र की विधायक श्री मति मनीषा सिंह जी थी। प्रार्थना से कार्यक्रम की शुरुआत कर प्रो करुणेश झा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया उन्होंने अपने वक्तव्य में सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। मंत्री जी द्वारा कुलगुरु स्वामी प्रपन्ना चार्य जी एवं डॉ सुरेंद्र जी का स्वयं शाल श्री फल प्रदान कर अभिनंदन किया।कुलगुरु प्रो रामशंकर जी द्वारा सभी अतिथियों का सम्मान शाल श्री फल से किया गया। डॉ सुरेंद्र जी ने अपने उद्बोधन में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर बोलते हुए कहा की गुरु शिष्य परम्परा सिर्फ मनुष्यों में ही है और विशेष कर भारत मे है इस लिए भारत विश्वगुरु के स्थान में था ।वेद व्यास जी ने ज्ञान का संचयन लिपि वद्ध्य किया उनका जन्म दिन गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।उन्होंने विस्तार से अपनी बात कही अपने विचाररखते हुए विधायक श्री मति मनीषा सिंह जी ने गुरु पूजन और परम्परा को भारतीय विचारो की सम्पन्नता बताया।अतिरिक्त पुलिस महा निदेशक श्री डी सी सागर जी गुरु शिष्य परम्परा में अपने विचार प्रगट किये। जगद्गुरु प्रपन्नाचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे भारत मे गुरु परम्परा पुरातन परम्परा है जिसमे चारो वर्णो के छात्र छात्राओं को उनके स्किल की पहचान कर उन्हें शिक्षित किया जाता था । गुरुओ का सम्मान आवश्यक है गुरु शिष्य परम्परा में यह संम्मान बहुत जरूरी है ।इसके बिना व्यक्ति सफल नही हो सकता।भाजपा जिलाध्यक्ष कमल प्रताप सिंह ने गुरुओं के महत्व पर अपने विचार रखे ।मुख्य अतिथि माननीय श्री दिलीप जायसवाल जी (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्रालय, म.प्र. शासन)ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मुझे यहाँ आकर गुरुओं का सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ यही हमारी भारतीय परंपरा है हमारे जीवन मे पाँच गुरु होते है जो जीवन की सत्यता से अवगत कराते है आज गुरुपूर्णिमा के अवसर पर सभी गुरुओं को प्रणाम करता हूँ ।कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलगुरु प्रो रामशंकर ने गुरु का जीवन मे प्रभाव और विस्तार पर अपने विचार रखे ॐ मंत्र के उच्चारण का महत्व बताया उन्होंने कहा आचार्य ओ है जो किसी से न डरे और उससे कोई न डरे यही गुरु है हमे गुरु और गुरुतत्व के सूक्ष्म अंतर समझना आवश्यक है ।कार्यकम के संयोजक डॉ विनोद शर्मा ,प्रो प्रमोद कुमार पांडेय ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्टभूमि परअपने विचार रखे। जिसमें गुरु शिष्य परम्परा पर चर्चा आयोजित की गई उक्त चर्चा पर छात्रों के द्वारा प्रश्न किये गए और उनका समाधान प्रस्तुत किया गया।शिक्षा में नैतिकता और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में उसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रो कौशलेंद्र कुमार ने नवीन शिक्षा प्रणाली में नवाचार विषय पर अपना उद्बोधन दिया। द्वितीय दिवस का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर चर्चा विश्वविद्यालय के शारीरिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आदर्श तिवारी ने अपने विचार प्रस्तुत किये। गुरु के आदर्श उनकी जीवनगाथा उनके शिक्षण अनुप्रयोग आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नवाचार और उनकी भूमिका पर विश्वविद्यालय के विभागध्यक्षो ने अपने विचार रखे। छात्रों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, प्रश्नोत्तर भविष्य की योजनाओं की चर्चा के साथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आशीष तिवारी जी के आभार ज्ञापन के साथ समापन समारोह पूर्ण हुआ।कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ आदर्श तिवारी ने किया।
पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में गुरु पूर्णिमा महोत्सव समापन समारोह का आयोजन
kalyug ka gotala
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