भोपाल/शहडोल(सीतेंद्र पयासी)।जहां प्रशासन शासकीय संपत्तियों को सुरक्षित करने का दावा करती है वही अमलाई थाना अंतर्गत ग्राम बटुरा में अवैध रूप से कोयले की चोरी करने वाले उन दावों को खोखला करते नजर आ रहे हैं ऐसा नहीं है की इस अवैध कोयले की चोरी की जानकारी प्रशासनिक अमले को नहीं है उसके बाद भी प्रशासन का रूख शांत क्यों है,क्या यह जन चर्चा सही है कि इस अवैध कोयले चोरी का बडा हिस्सा उन संबंधित जिम्मेदारों तक पहुंचता है जिन्हें शासन द्वारा सुरक्षा करने का जिम्मा सौपा गया है आखिर क्यों जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से भागते नजर आ रहे हैं, तभी तो बटुरा को कोयला विहीन करने की पुरजोर कोशिश माफियाओ द्वारा किया जा रहा है, ऐसा नहीं है कि प्रशासन ने पूर्व मे कार्यवाही नहीं की लेकिन प्रशासन जगती भी है तो उस समय जब कोई बड़ी अनहोनी हो जाती है कुछ समय पहले घटना घटने के बाद इसी खदान को जहा से कोयले की अबैध चोरी हो रही है।
चूने से भटवाया गया था क्योंकि यही वह जगह है जहां पर लोगों की जान गई थी इस खदान में लोगों ने कई जिंदगियों को गंवाया है उसके उपरांत भी इस जगह से अवैध कोयला चोरी कर माफियाओ द्वारा अच्छा खासा आमदनी का जरिया बनाया गया है और शासन के खजाने में जाने वाले हिस्से को अपने उपयोग में लेकर शहडोल से कटनी इलाहाबाद जैसे बड़े क्षेत्र में बड़े-बड़े ट्रकों के माध्यम से भिजवाया जा रहा है फिर भी प्रशासन मूक दर्शक बनकर बैठी हुई है अगर यही कारनामा चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब माफियाओं द्वारा शहडोल जिले के क्षेत्र से अत्यधिक मात्रा में चोरी कर कोयले के अवैध व्यापार को प्रमुखता देना आसान समझने लगेंगे और हर माफिया कोयल चोर बनना पसंद करेगा जबकि बटुरा एक ऐसा खदान है जो शहडोल एवं अनूपपुर रोड में पड़ता है फिर भी इन माफिया द्वारा बड़ी ही आसानी से कोयले का एक बड़ा भाग चोरी कर बेचने में सफल हो जाते हैं यह खदान तो नाम मात्र की है जन चर्चा की माने तो ऐसे कई खदान है जहां से कोयला चोरी कर अवैध व्यापार किया जाता है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
जब संबंधित विषय को लेकर खनिज अधिकारी देवेंद्र पटले शहडोल को एक बार नही बल्कि दो बार फोन लगाया गया तो उनका फोन कवरेज से बाहर आया।


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