सुभाष चंद्र बोस की मनाई गई 128 वीं जयंती


शहडोल(सीतेंद्र पयासी)। 23 जनवरी को नेता जी सुभाषचंद्र बोस की 128वीं जयंती पर पण्डित शम्भूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग द्वारा कुलगुरु प्रो. रामशंकर के निर्देशन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रों द्वारा नेता जी से संबन्धित विषयों पर भाषण एवं कविता पाठ किया गया। इस पुण्यस्मरण कार्यक्रम में इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. चेतना सिंह ने बताया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस साहस, दृढ़संकल्प और निडरता की प्रतिमूर्ति थे। अपने कटक उड़ीसा के अनुभवों को याद करते हुये डॉ.सिंह ने कहा कि आज भी उड़ीसा की धरती नेता जी की अस्मिता गौरव को सँजोये हुए है। शहडोल परिसर प्रभारी प्रो. गीता सराफ़ ने अपने वक्तव्य में नेता जी के प्रति अगाध श्रद्धा प्रकट करते हुये सुभाष चंद्र बोस से नेताजी बनने का उनका सफर कैसा रहा से सभी को परिचित कराया । कार्यक्रम का संचालन कर रहे आशुतोष तिवारी ने नेताजी के बाल्यकाल से आजाद हिन्द फौज तक की स्थापना के सफर से सभी को अवगत कराया। इतिहास विभाग के गोविंद पाण्डेय ने बताया कि स्वाधीनता संग्राम के साक्षी रहे मध्यप्रदेश के जबलपुर नगर में वर्ष 1939 का त्रिपुरी अधिवेशन आयोजित हुआ था। जिसमें 52 हाथियों का जुलूस निकालकर सुभाषचंद्र बोस का स्वागत किया गया था।नर्मदा तट पर विष्णुदत्त नगर बनाया गया जो अधिवेशन में पधारे अतिथियों के आकर्षण का केंद्र बना। त्रिपुरी अधिवेशन में नेता जी की वैचारिकी और उसका स्वाधीनता आंदोलन पर हुये प्रभावों के मध्य संबद्ध स्थापित कर छात्रों को नेताजी योगदान से अवगत कराया। इस अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग से डॉ. पूर्णिमा शर्मा, इतिहास विभाग से डॉ. नीलेश शर्मा, डॉ. सुषमा नेताम, डॉ. अंकित सिंह बघेल एवं बड़ी संख्या में स्नातक एवं स्नात्कोत्तर के छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

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