3 प्रभारी मंत्री, एक सांसद, आठ विधायक, एक कमिश्नर, तीन कलेक्टर 10 वर्षो में नहीं बनवा पाए सड़क

ग्रामीणों ने सड़क पर धान रोपकर किया था अनोखा विरोध प्रदर्शन

शहडोल(सीतेंद्र पयासी)। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग के प्रदेश महामंत्री मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि, आदिवासी संभागीय मुख्यालय शहडोल से उमरिया सड़क मार्ग की स्थिति विगत 10 वर्षों से अत्यंत दयनीय है। खासकर घुनघुटी ग्राम से आगे और करकेली ग्राम से पहले तक यह सड़क कई जगहों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है, जिससे सड़क मार्ग से चलने वाले यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है। शहडोल संभाग के तीन जिले शहडोल उमरिया अनूपपुर के तीन प्रभारी मंत्री जिसमें एक उपमुख्यमंत्री और एक स्थानीय संभाग के अंतर्गत के मंत्री, आठ विधायक,एक सांसद, तीन कलेक्टर और एक कमिशनर भी 10 वर्षो में नहीं बनवा पाए शहडोल से उमरिया के बीच की 72 किलोमीटर लंबी सड़क इसका निर्माण कार्य विगत 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। जिस कारण सड़क की दुर्दशा को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। भारी मात्रा में ग्रामीणों ने तो सड़क पर धान रोपकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया है। 



मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि,शहडोल से उमरिया सड़क मार्ग की स्थिति यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।मिट्टी,कीचड़ और गड्ढे से सनी यह सडक़ नेशनल हाइवे (एनएच) 43 पर शहडोल से उमरिया के बीच 73 किलोमीटर सडक़ का काम 10 साल में पूरा नहीं हुआ। लापरवाही के बाद भी ठेकेदार फर्म तिरुपति बिल्डकॉन कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (टीबीसीएल) को एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन दिया जा रहा है। अब तो मध्यप्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआरडीसी) के अधिकारी भी कह रहे हैं कि ठेकेदार को काम पर तेजी लाने की बात कहते थक गए हैं,पर सिंघानिया की सेटिंग ऐसी है की सारे मंत्री अधिकारी उसके लिए लिए नतमस्तक हैं। 

एनएच 43 में शहडोल से उमरिया की बीच 72 किलोमीटर सडक़ निर्माण 10 वर्षो बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। जबकि 2015 में मंजूर इस प्रोजेक्ट का काम 2020 तक पूरा हो जाना चाहिए था। सडक़ निर्माण में लगातार हो रही लेटलतीफ के बाद 17 जुलाई 2023 को दिल्ली में केंद्रीय सडक़ परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकऱी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय किया गया था कि किसी भी स्थिति में सडक़ निर्माण का काम दिसंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाए।

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