सेवा पखवाड़ा अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार कार्यक्रम का हुआ आयोजन


शहडोल(सीतेंद्र पयासी)उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार "सेवा पखवाड़ा "के अंतर्गत आज दिनांक 29/ 9/2025 समाज कार्य एवं समाजशास्त्र विभाग पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल एवं आयुष्मान केंद्र शहडोल के समन्वय से " स्वस्थ नारी शसक्त परिवार " विषय पर छात्रों ,स्वास्थ्य विभाग,सम्माननीय जन एवं प्राध्यापक गण के मध्य परिचर्चा का आयोजन किया गया । जिस पर डॉक्टर एकता जी ने स्त्री के लिए स्वस्थ दिनचर्या एवं प्राकृतिक खान -पान पर महत्वपूर्ण चर्चा की 

स्त्री का शरीर जीवन के विभिन्न चरणों में अनेक शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरता है। ऐसे में संतुलित दिनचर्या और प्राकृतिक आहार उसे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ बनाए रखते हैं।स्वस्थ दिनचर्या सुबह जल्दी उठना और कम से कम 15–20 मिनट प्राणायाम या योग करना तनाव कम करने और शरीर को सक्रिय रखने में सहायक है। नियमित रूप से 30–40 मिनट पैदल चलना, हल्का व्यायाम करना हृदय और हड्डियों को मजबूत बनाता है। पर्याप्त नींद (7–8 घंटे) लेना हार्मोन संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। दिनभर में समय पर भोजन, काम और विश्राम का तालमेल बनाए रखना चाहिए। स्क्रीन टाइम सीमित करना और ध्यान/मेडिटेशन जैसी गतिविधियों को शामिल करना मानसिक शांति देता है। प्राकृतिक आहार

सुबह गुनगुना पानी और नींबू/शहद के साथ दिन की शुरुआत करना पाचन को बेहतर करता है। नाश्ते में मौसमी फल, अंकुरित अनाज, दूध या दही जैसे प्रोटीन युक्त पदार्थ लेना लाभकारी है। दोपहर के भोजन में दाल, साबुत अनाज की रोटी, हरी सब्जियां और सलाद शामिल करना चाहिए। शाम को हल्का नाश्ता जैसे सूखे मेवे लेना ऊर्जा प्रदान करता है। रात का भोजन हल्का होना चाहिए जिसमें दलिया, खिचड़ी शामिल हो। रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी (8–10 गिलास) पीना जरूरी है।परिष्कृत आटा, जंक फूड, अधिक तेल-मसाले और मीठे पेय से बचना चाहिए। प्रोफेसर नीलिमा खरे एवं डॉक्टर पाठक मैडम द्वारा युवा लड़कियों के स्वक्षता पर प्रकाश डाला युवा लड़कियों के लिए स्वच्छता का पालन अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे रोज़ स्नान करना, साफ कपड़े पहनना, दांत और बालों की देखभाल करना, उन्हें स्वस्थ बनाए रखता है। विशेषकर मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है। स्वच्छ सेनेटरी पैड या कप का सही उपयोग और समय पर परिवर्तन करना चाहिए। साथ ही, संतुलित आहार, साफ पानी और पर्याप्त नींद भी जरूरी है। स्वच्छता न केवल रोगों से बचाव करती है, बल्कि आत्मविश्वास और सकारात्मक व्यक्तित्व भी विकसित करता है तभी एक स्वस्थ नारी का निर्माण होगा जिससे एक स्वस्थ परिवार का निर्माण होगा एवं इससे ही स्वस्थ भारत के संकल्पना पूर्ण होगी । उस दौरान समाज कार्य विभाग से नितिन गर्ग,अर्पित दुबे, समाजशास्त्र से डॉ सिद्धार्थ मिश्रा, डॉ सिद्धिश्री सिंह,राकेश मिश्रा,कल्याणी उपाध्याय एवं विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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